सिकन्दर लोदी (1489-1517 ई.)

  • जन्म – 17 जुलाई 1458
  • शासनकाल – 1489-1517 ई.
  • बचपन का नाम – निजाम खां।
  • मृत्यु- 21 नवंबर, 1517

यह लोदी वंश का दूसरा शासक था। अपने पिता बहलूल खान लोदी की मृत्यु (जुलाई 17, 1489) के बाद यह सुल्तान बना। इसके सुल्तान बनने में कठिनई का मुख्य कारण था इसका बडा़ भाई, बर्बक शाह, जो तब जौनपुर का राज्यपाल था। उसने भी इस गद्दी पर अपने पिता के सिकंदर के नामांकन के बावजूद, दावा किया था। परंतु सिकंदर ने एक प्रतिनिधि मंडल भेज कर मामला सुलझा लिया और एक बडा़ खून-खराबा बचा लिया। असल में इसने बर्बक शाह को जौनपुर सल्तनत पर राज्य जारी रखने को कहा, एवं अपने चाचा आलम खान से भी विवाद सुलझा लिये, जो कि तख्ता पलट करने की योजना बना रहा था।

सिकंदर एक योग्य शासक सिद्ध हुआ। उसने अपने राज्य को ग्वालियर एवं बिहार तक फैलाया । उसने अल्लाउद्दीन हुसैन शाह एवं उसकी बंगाल के राज्य से संधि कर ली । वह अपने देश के अफगान नवाबों को नियंत्रण में रखने में कामयाब हुआ, एवं अपने राज्य पर्यन्त व्यापार को खूब बढा़वा दिया। सन 1503 में, उसने वर्तमान आगरा शहर की नींव रखी।

  • ‌उसके आदेश पर संस्कृत के एक आयुर्वेद ग्रंथ का फारसी में “फरहंगे सिकंदरी” नाम से अनुवाद किया गया।
  • उसने मुसलमान स्त्रियों को पीरों एवं सन्तों के मजार पर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया।
  • मुसलमानों को ‘ताजिया’ निकालने पर प्रतिबन्ध लगा दिया
  • अपने व्यक्तित्व की सुन्दरता बनाये रखने के लिए वह दाढ़ी नहीं रखता था।
  • सिकन्दर ने नगरकोट के ज्वालामुखी मंदिर की मूर्ति को तोड़कर उसके टुकड़ों को कसाइयों को माँस तोलने के लिए दे दिया था।

उदार व्यक्ति के रूप में –

  • सिकन्दर लोदी सल्तनत काल का एक मात्र सुल्तान हुआ, जिसमें खुम्स (लूट से मिली रकम) से कोई हिस्सा नहीं लिया। जबकि अलाउद्दीन खिलजी ने अपने काल में 3/4 भाग लेना शुरू कर दिया था.
  • उसने निर्धनों के लिए मुफ़्त भोजन की व्यवस्था करायी।
  • निष्पक्ष न्याय के लिए मियां भुआं को नियुक्त किया।

शासन व्यवस्था एंव सुधार कार्य –

  • सिकन्दर शाह ने भूमि के लिए एक प्रमाणिक पैमाना ‘गज-ए-सिकन्दरी’ का प्रचलन करवाया, जो 30 इंच का था।
  • उसने अनाज पर से चुंगी हटा दी और अन्य व्यापारिक कर हटा दिये, जिससे अनाज, कपड़ा एवं आवश्यकता की अन्य वस्तुएँ सस्ती हो गयीं।
  • सिकन्दर लोदी ने खाद्यान्न पर से जकात कर हटा लिया तथा भूमि में गढ़े हुए खज़ाने से कोई हिस्सा नहीं लिया।
  • सिकन्दर लोदी ने अफ़ग़ान सरदारों से समानता की नीति का परित्याग करके श्रेष्ठता की नीति का अनुसरण किया।
  • उसने आन्तरिक व्यापार कर को समाप्त कर दिया तथा गुप्तचर विभाग का पुनर्गठन किया।
  • सिकन्दर शाह लोदी गुजरात के महमूद बेगड़ा और मेवाड़ के राणा सांगा का समकालीन था। उसने दिल्ली को इन दोनों से मुक़ाबले के योग्य बनाया।
  • उसने उन अफ़ग़ान सरदारों का दबाने की कोशिश भी की, जो स्वतंत्रता के आदी थे और सुल्तान को अपने बराबर समझते थे।
  • सिकन्दर ने सरदारों को अपने सामने खड़े होने का हुक्म दिया, ताकि उनके ऊपर अपनी महत्ता प्रदर्शित कर सके। जब शाही फ़रमान भेजा जाता था तो सब सरदारों को शहर से बाहर आकर आदर के साथ उसका स्वागत करना पड़ता था। जिनके पास जागीरें थीं, उन्हें नियमित रूप से उनका लेखा देना होता था और हिसाब में गड़बड़ करने वाले और भ्रष्टाचारी ज़ागीरदारों को कड़ी सजाएँ दी जाती थीं। लेकिन सिकन्दर लोदी को इन सरदारों को क़ाबू में रखने में अधिक सफलता प्राप्त नहीं हुई। अपनी मृत्यु के समय बहलोल लोदी ने अपने पुत्रों और रिश्तेदारों में राज्य बांट दिया था। यद्यपि सिकन्दर एक बड़े संघर्ष के बाद उसे फिर से एकत्र करने में सफल हुआ था, लेकिन सुल्तान के पुत्रों में राज्य के बंटवारे का विचार अफ़ग़ानों के दिमाग़ में बना रहता था।

साम्राज्य विस्तार 

हुसेनशाह शर्की ने बिहार में रहकर जौनपुर पर पुनराधिकार करने के लिए सन् 1494 में आक्रमण किया किन्तु सिकन्दर लोदी ने उसे पराजित किया और उसका पीछा करते पटना जा पहुंचा। वहां उसने बिहार को अपने अधिकार में किया। इसी अभियान के दौरान उसने तिरहुत के शासक को भी अपनी आधीनता स्वीकार करने के लिए बाध्य किया। 

सन् 1502 में सिकदर ने धौलपुर के शासक विनायक देव को पराजित कर धौलपुर अपने राज्य में मिला लिया। ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर पर उसने कई आक्रमण किए परन्तु वह ग्वालियर पर अधिकार करने में असफल रहा। उसने ग्वालियर राज्य के नरवर, मन्दर तथा उतगिर पर अधिकार करने में अवश्य सफलता प्राप्त की।

राजपूत राज्यों पर नियन्त्रण रखने के लिए उसने बयाना पर अधिकार किया और उसके एक अंग आगरा को अपनी राजधानी के रूप में विकसित किया। सन् 1509 में सिकन्दर ने नागौर के शासक मुहम्मद खाँ को अपनी आधीनता स्वीकार करने के लिए बाध्य किया। सन् 1513 में चन्देरी भी उसके अधिकार में आ गया।

सिकंदर लोदी की मृत्यु-

उसकी मृत्यु से प्रजा को बडा़ आघात लगा, जैसा कि उसके दिल्ली में शानदार मकबरे से भी सिद्ध होता है।गले में बीमारी के कारण सिकंदर लोदी की मृत्यु 21 नवंबर 1517ई. को हो गयी।

सिकंदर लोदी का मकबरा-

सिकंदर के बेटे इब्राहिम लोदी द्वारा लोदी गार्डन में सिकंदर गुम्बद की स्थापना की गई। दिल्ली में  पुराना ओल्ड लेडी वैलिंग्टन पार्क जिसे अब लोदी गार्डन के नाम से जाना जाता है। इसी गार्डन में सैयद और लोदी काल के स्मारक स्थापित किए गए है। इनमें गुम्बद, मस्जिदें और पुल शामिल है। मुहम्मद शाह और सिकंदर लोधी के मकबरे अष्टभुजाकार मकबरे का शानदार उदाहरण है। यह लोदी गार्डन में स्थित है। इस मकबरे का निर्माण  1517-18 ईस्वी में हुआ। इस मकबरे को सिकंदर लोदी मकबरे के नाम से जाना जाता है।

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