सैय्यद वंश (1414 – 1451 ई.)

  • स्थापना – 1414 ई.
  • संस्थापक- खिज्र खाँ
  • सैय्यद वंश का अंत – 1451ई.
  • अंत का कारण – सैय्यद वंश के आखिरी शासक अलाउद्दीन आलम ने 19 अप्रेल 1451 ई को स्वेच्छा से अपने सेनापति बहलोल खान को दिल्ली सल्तनत की कमान सौंप दी।

तैमूर के आक्रमण ने सल्तनत की शक्ति को कम कर दिया और खिज्र खां ने सैयद वंश की नींव रखी थी। यह परिवार सैयद अथवा मुहम्मद के वंशज माने जाता है। तैमूर के लगातार आक्रमणों के कारण दिल्ली सल्तनत का कन्द्रीय नेतृत्व पूरी तरह से हतास हो चुका था और उसे 1398 तक लूट लिया गया था। इसके बाद उथल-पुथल भरे समय में, जब कोई केन्द्रीय सत्ता नहीं थी, सैयदों ने दिल्ली में अपनी शक्ति का विस्तार किया। इस वंश के विभिन्न चार शासकों ने 37-वर्षों तक दिल्ली सल्तनत का नेतृत्व किया।

इस वंश की स्थापना ख़िज्र खाँ ने की जिन्हें तैमूर ने मुल्तान (पंजाब क्षेत्र) का राज्यपाल नियुक्त किया था। खिज़्र खान ने 28 मई 1414 को दिल्ली की सत्ता दौलत खान लोदी से छीनकर सैयद वंश की स्थापना की। लेकिन वो सुल्तान की पदवी प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो पाये और पहले तैम्मूर के तथा उनकी मृत्यु के पश्चात उनके उत्तराधिकारी शाहरुख मीर्ज़ा (तैमूर के नाती) के अधीन तैमूरी राजवंश के रयत-ई-अला (जागीरदार) ही रहे। 

ख़िज्र खान की मृत्यु के बाद 20 मई 1421 को उनके पुत्र मुबारक खान ने सत्ता अपने हाथ में ली और अपने आप को अपने सिक्कों में मुइज़्ज़ुद्दीन मुबारक शाह के रूप में लिखवाया। उनके क्षेत्र का अधिक विवरण याहिया बिन अहमद सरहिन्दी द्वारा रचित तारीख-ए-मुबारकशाही में मिलता है। मुबारक खान की मृत्यु के बाद उनका दतक पुत्र मुहम्मद खान सत्तारूढ़ हुआ और अपने आपको सुल्तान मुहम्मद शाह के रूप में रखा। अपनी मृत्यु से पूर्व ही उन्होंने बदायूं से अपने पुत्र अलाउद्दीन शाह को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया

इस वंश के अन्तिम शासक अलाउद्दीन आलम शाह ने स्वेच्छा से दिल्ली सल्तनत को 19 अप्रैल 1451 को बहलूल खान लोदी के लिए छोड़ दिया और बदायूं चले गये। वो 1478 में अपनी मृत्यु के समय तक वहाँ ही रहे।

शासक

  • ख़िज़्र खाँ (1414-1421)
  • मुबारक़ शाह (1421-1434)
  • मुहम्मद शाह (1434-1445)
  • आलमशाह शाह (1445-1451)

खिज्र खां (1414-1421)

  • सैयद वंश की स्थापना खिज्र खां ने की।
  • सैयद वंश स्वंय को पैगम्बर मुहम्मद का वंशज मानते हैं।
  • खिज्र खां ने कभी भी सुल्तान की उपाधि धारण नहीं की, उसने ‘रैयत-ए-आला’ की उपाधि ली।
  • तैमूर लग का सेनापति खिज्र खां था वह नियमित रूप से तैमूर के बेटे शाहरूख को कर भेजा करता था।

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मुबारक शाह (1421-1434)

  • खिज्र खां के बाद गद्दी पर उसका पुत्र मुबारक शाह बैठा।
  • मुबारक शाह ने विख्यात इतिहासकार वाहिया-बिन-अहमद सरहिंदी को आश्रय दिया। सरहिन्दी ने तारीख-ए-मुबारकशाही पुस्तक की रचना की। यह सैयद काल में लिखी एक मात्र पुस्तक थीजो की सैयद वंश के विषय में जानकरी देती मिलती है।
  • मुबारक शाह ने शाह की उपाधि धारण की एवं अपने नाम का खुतवा पढ़ाया एवं अपने नाम के सिक्के जारी किए।
  • मुबारक शाह ने तैमूर के पुत्र व ईरान के शाह शाहरूख को कर देना बंद कर दिया।

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मुहम्मद शाह (1434-1445)

  • मुबारक शाह के बाद गद्दी पर उसका दत्तक पुत्र मुहम्मद शाह बैठा।
  • मुहम्मद शाह की मृत्यु के बाद उसका पुत्र अलाउद्दीन आलम शाह सुल्तान बना।

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अलाउद्दीन आलम शाह (1445-1451)

  • अलाउद्दीन आलम शाह मुहम्मद शाह का पुत्र था।
  • यह सैयद वंश का आखिरी शासक था।
  • इसके समय दिल्ली सल्तनत के शासन की बागडोर सैयदों से निकलकर लोदियों के हाथ में चली गयी थी ।

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